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गर्दिश में तारे मेंरे


गर्दिश में तारे मेंरे-Kumar Utkarsh


गर्दिश में तारे मेंरे  भले हो मगर
साथ न छोड़ देना तुम कभी मुह मोड़कर
वादा हैं जन्नत की सैर कराऊंगा
ख़ुशी और प्यार से तेरा हर लम्हा सजाऊंगा

चाँद के पार ना सही समुन्दर की लहरें दिखाऊंगा
सपनो का महल न बन सका तो रेत पर किला बनाऊंगा
तू अगर साथ रही हर दम, हर वक़्त, हर मोड़ पर
तो इन्शालाह एक दिन तारे भी तोड़ लाऊंगा

गर आज दे न सकू तुझे चंद फूल वो गुलाब के
ये न सोच लेना की तुझे भूल मैं भाग जाऊंगा
तिनके तिनके से जिस तरह बनता हैं एक घरोंदा
एक एक ईट उस तरह अपना घर सजाऊंगा

गर रूठ जाये भी कभी तू तो तेरे तकिये के किनारे
अपना सर रख कर मैं शायद अश्रु भी बहाऊंगा
पर कर यकीन मुझपर और याद रखना सदा
ख़ुशी और प्यार  से तेरा हर लम्हा सजाऊंगा....
~Kumar Ukarsh

सीने में आज ना जाने मची कैसी ये खलबली?


Kumar Utkarsh-सीने में आज ना जाने मची कैसी ये खलबली?


सीने में आज ना जाने
मची कैसी ये खलबली हैं
आग सी हैं भड़क रही
दिल में मेरे जल रही हैं

दिख रहा हैं वो किनारा
हर पल अब तक जो धूमिल था
क्या इस बार ज़मीन मिलेगी
ख्याल हर सोच में शामिल था

डर हैं कही डगमगा ना जाऊ
यह सुन्दर स्वप्न न टूट जाए कही
कुछ एक को हैं खबर किस तरह हूँ बढ़ा
हैं भरता जिस तरह बूँद बूँद घड़ा

बस अब येही आरज़ू है दिल की
ऊपर वाले सदा देना दुआ
अगर मेहनत कर के भी हार गया तो गम नहीं
समझ लूँगा खेल रहा था ज़िन्दगी से जुआ ॥
----- अर्ष

यादें क्यूँ याद आती हैं?


यादें क्यूँ याद आती हैं?




यादें क्यूँ याद आती हैं,
साथ बिताये लम्हों की कसक आती जाती है,
तेरे पास न होने की कसक आती जाती है,
अकेला हूँ-तनहा हूँ, सोच ये मेरी आती जाती है,
पर याद तेरी जा के फिर क्यूँ चली आती है|

याद आता है मेरा वो तुझको यूँ पलट के देखना,
आते देख तुझको पलकें नीची कर लेना,
घंटों तुमसे बात करने को नए बहाने ढूँढना,
तेरी एक झलक पाने को घंटों गली के मोड़ पे खड़े रहना,
फिर भी तेरा मुझको न देखना,

नहीं हो पास मेरे तुम तो कोई गम नहीं,
तुम्हारे होने का एहसास तो है,
ख़्वाबों की मेरी दुनिया में, तू मेरे पास तो है,
पा लूँगा तुझे एक दिन, दिल को आज भी आस है,
ऊपर वाले की रहमतों पे मेरा आज भी विश्वास है,

तभी शायद यादें याद आती हैं,और जा के फिर चली आती हैं..............

~Baibhav

यादें (Memories)


Memories-Yaadein-यादें


याद उलम्हों का पुनः आभास है,
जिसमे कोई अपना रहता हमारे पास है।

अपनों की याद मुझे तब-तब आ जाती है,
जब ज़िंदगी मुझे अपना दूजा पहलू दिखलाती है। 

दूजा पहलू जीवन का वह समय है,
जिसमे बाहर से आक्रोश किन्तु अंदर से भय है।

भय की परिभाषा मेरे लिए कुछ और है,
ये तो वो आकांक्षाएँ है जिनपर नहीं चलता ज़ोर है।

जब आती है याद मुझे अपने घर की,तो माँ का चेहरा आँखों में उतार आता है,
कुछ सोचता हूँ तो पिता का खयाल दिल में घर कर जाता है।

जीवन एक पतंग है और दिल उसकी डोर है,
यादों के आकाश में इसपर कहाँ चलता ज़ोर है।

अपने आप से कहो की तुम्हारा दिल कहाँ कमजोर है,
फिर आकाश में हों कितने भी तूफान,पतंग पर कहाँ चलता ज़ोर है।

आज भी याद आते मुझे अपने पुराने यार हैं,
मेरे दिल में उनके लिए आज भी उतना ही प्यार है।
बचपन की यादों को खुद से अलग नहीं कर पाता हूँ,
सोचता भविष्य की हूँ पर ना जाने क्यूँ हर बार गुजरे कल में पहुँच जाता हूँ।

अपनों के बिना ये जीवन लगता एक पहेली है,
आज उनकी यादें ही है जो मेरी सहेली है।

                                                                                                            -अंकित उपाध्याय

माँ

Mother & Child 
खिड़की पे जो बारिश की बूंदें टपटपा रही हैं,
ना जाने क्यूँ आज मेरे माँ की याद दिला रही हैं,
आखें बंद कर के देखना चाह रहा हूँ एक चेहरा,
बस माँ ही मेरी उसमें दिख जा रही हैं|

लौट आया है जैसे बचपन आज मेरा,
ज़िन्दगी में मेरे दिख रहा है एक नया सवेरा,
खट्टी-मीठी उन सुनहरी यादों में माँ मेरी दिख जा रही हैं,
ख़्वाबों में मेरे वो बूंदें बन गिर जा रही हैं|

घनघोर बारिश की वो रात थी,
बादलों का शोर दिल में कर रहा था अंधियारा,
डर से काँप रहा था मैं,
हिल रहा था बदन मेरा सारा|

रात भर सोयी नहीं थी माँ,
बस जब मैंने डर से उनके आँचल में मुँह छुपा लिया था,
सुकून जो मिला था मुझे उस दिन,
फिर उसकी तलाश में भटकता रहा जीवन सारा|

आज जीवन की उलझनें दूर ले आई है मुझे तुमसे,
फिर भी हर पल दुआ निकलती है तुम्हारे लिए उस रब से,
आज फिर परेशानियों के भंवर में हूँ फँसा,
तो याद आई है तुम्हारी पहले सबसे| 

ना जाने क्यूँ आज मैं फिर उस पल को जीना चाहता हूँ,
आँचल में तेरे सुकून के दो पल बिताना चाहता हूँ,
तभी याद आता है मेरा तुमसे दूर होना,
पर तुम्हारे आशीर्वाद में उठे हाथ को आज भी महसूस करता हूँ| 

आज जो कुछ भी हूँ माँ मैं, सब तेरी वजह से है,
साँस ले रहा हूँ मई, तो वो तेरी वजह से है,
दुआ करता हूँ उस ऊपर वाले से,की जो ज़िन्दगी मेरी आज तेरे संगहै,
खुशनसीब होऊंगा मैं अगर कल भी तेरा-मेरा संग है|


~Baibhav
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