यादें क्यूँ याद आती हैं?


यादें क्यूँ याद आती हैं?




यादें क्यूँ याद आती हैं,
साथ बिताये लम्हों की कसक आती जाती है,
तेरे पास न होने की कसक आती जाती है,
अकेला हूँ-तनहा हूँ, सोच ये मेरी आती जाती है,
पर याद तेरी जा के फिर क्यूँ चली आती है|

याद आता है मेरा वो तुझको यूँ पलट के देखना,
आते देख तुझको पलकें नीची कर लेना,
घंटों तुमसे बात करने को नए बहाने ढूँढना,
तेरी एक झलक पाने को घंटों गली के मोड़ पे खड़े रहना,
फिर भी तेरा मुझको न देखना,

नहीं हो पास मेरे तुम तो कोई गम नहीं,
तुम्हारे होने का एहसास तो है,
ख़्वाबों की मेरी दुनिया में, तू मेरे पास तो है,
पा लूँगा तुझे एक दिन, दिल को आज भी आस है,
ऊपर वाले की रहमतों पे मेरा आज भी विश्वास है,

तभी शायद यादें याद आती हैं,और जा के फिर चली आती हैं..............

~Baibhav

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