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वो नई दोस्ती!

Wo Nayi Dosti Prateek Saraf
रोते हुए इंसान को मुस्कान दे गयी...
मरने से बचा के जीवन दान दे गयी...
खिल खिल रही है मेरे चेहरे पे जो हँसी आज कल...
इस मुस्कराहट को वो नई दोस्त पहचान दे गयी...!

मिले नहीं अभी तक हम जिनसे...
जानती नहीं वो बात कर रही है किनसे...
फिर भी गर भरोसा है इतना उनको...
तोड़ेंगे  नहीं कह देना उनको...!

उस  दिन ना जाने हमें भी क्या हो गया था...
वो थी दुखी और हममे भी एक कवी आ गया था...
कभी ना कह पाए और ना ही समझाया हमने कभी...
उसने कुछ कहा, हमने निकाल दी मान कि बात सभी...!



Rote hue insaan ko muskaan de gai....
Marne se bacha k jeevan daan de gai...
Khil khila rahi h mere chehre pe jo hasi aaj kal...
Is muskurahat ko wo nayi dost pehchaan de gai..!

Mile nahi abhi tak hum ginse...
Janti nhi wo baat kar rhi hai kinse...
Fir bhi gar bharosa hai itna ginko...
Todenge nahi kabhi keh dena unko...!

Us din na jaane hume bhi ho kya gaya tha...
Wo thi dukhi aur hm me bhi kavi aa gaya tha...
Kabhi naa keh paaye or naa ksi ko smjhaya humne kabhi...
Usne kuch kaha hmne nikal di man ki baat sabhi...!



~Prateek Saraf

सोचता हूँ


Sochta Hun - From Sphere Of Satwik
सोचता हूँ बदल दूं उनको,
एक ही प्रहार से।
चाहता हूँ सीखा दूँ इंसानियत,
उन्हें अपने हथियार से।

बहुत हो गई ‘अहिंसा परमोधर्म’
भरोषा भी कर लिया बहुत ही।
लात के ही भूत जो ठहरे,
सुनेंगे वो कैसे प्यार से?

आज वक़्त वो आ गया है,
काल विपत्ति का उनपर छा गया है।
चलो हक़ अपना हम ले लें आज,
और छीनलें उनसे अधिकार से।

ना जात, ना कोई पात,
ना धर्म से जुडी कोई बेफिजूल  बात,
आज हम लड़ेंगे अनोखी लड़ाई,
समता का व्यव्हार से।

~Satwik Mishra

गुमशुदा

GumShuda गुमशुदा ~Ayush Jain


कुछ बातें, कुछ लम्हे,
कुछ ख्वाब, कुछ यादें,
हासिल थे सभी, 
बस हासिल हैं नहीं 
कुछ हँसना, कुछ सताना,
कुछ रूठना, कुछ मानाना,
हासिल था सभी,
 बस हासिल है नहीं
अब यहाँ हम हैं खड़े, 
बस चलने को तैयार,
जाना है कहाँ ? 
बस मंज़िल ही नहीं,
हर अक्स में है चेहरा, 
कुछ धुंधला सा
कुछ नया सा, 
तो कुछ पुराना सा
क्या हम हैं यही ?
या गुमशुदा हैं कहीं?




गुज़रा ज़माना

Guzra Zamana ~Ayush Jain गुज़रा ज़माना

बहुत याद आता है वो गुज़रा ज़माना,
वो प्यारा सा बचपन वो मासूम फसाना,

सुबह रोज़ उठकर वो यूनिफॉर्म पहनना,
वो टाई में उलझना वो पापा का सिखाना,

बस स्टॉप पर बस का इंतज़ार करना,
वो खिड़की वाली सीट की ख्वाहिश होना,

"स्कूल प्रेयर" और "थॉट ऑफ डे" से दिन की शुरुआत,
वो "PHE" और "फ्री पीरियड" की राहें ताकना,

"लंच ब्रेक" से पहले "बोरिंग मेथ्स" पढ़ना,
और लंच ब्रेक में सबके टिफिन टटोलना,

फ्री पीरियड में होमवर्क पूरा करना,
फिर शाम को ज़्यादा खेलने की उम्मीद होना,

हर "आन्सर" के बाद वो लाल लाइन खींचना,
और हर एक "डाइयग्रॅम" को सुंदर सा सजाना,

घर जाके सीधा टीवी से चिपकना,
वो मम्मी का डांटना खाने के लिए,

शाम से पहले होमवर्क की जल्दी,
छत पर फिर फुल ऑन क्रिकेट खेलना,

वो दादा दादी से क़िस्से सुनना,
"पता है, आप सुना चुके हो" ये बार बार कहना,

वो मम्मी के हाथों का गर्मा गर्म खाना,
वो पापा के आने कावेट” करना,

सब का छत पर जाकर फिर बातें करना,
तारों और सड़क की गाड़ियों की गिनती करना,

वो पापा का कहना जूते पॉलिश करके रखो,
वो मम्मी का समझाना स्कूल बैग भी जमा लो,

और कुछ ही देर में,
फिर जल्दी से सो जाना,

वो नया दिन फिर वैसे ही जीना,
पर हर दिन में खुशी, हर दिन में कुछ ख़ास होना,

हक़ीक़त था जो, अब हुआ है फसाना,
हक़ीक़त है जो, होगा वही फिर फसाना,

बहुत याद आता है वो गुज़रा ज़माना,
वो प्यारा सा बचपन वो मासूम फसाना |

“दुनिया खिडकियों से”

Duniya Khidkiyon Se ~Ayush Jain

खिडकियों से झांकते हुए,
जो नज़र आता है,
असल है या है फ़साना,
सोचते हुए यह मन,
बहुत चकराता है |
 अब एक अरसे से
हम जो देखते आये हैं
क्या यह वही है,
जो यह मन समझ पता है?
या फिर ,
है एक अलग ही दुनिया ,
जहां है नहीं किसी को ,
किसी से कोई भी सरोकार |
पर हासिल करने में लगे हैं,
   सभी कुछ ऐसा ,
जिसका इल्म भी उन्हें
हो नहीं पाता है ?
इक दूजे की मदद,
कर सके अगर,
तो फंसे रह सकते हैं,
वे यहाँ जिंदगी भर |
पर कौन है,
जो उन्हें समझाए,
उन्हें समझ भी तो नहीं आता है |
हम तो बस,
दर्शक हैं,
जो खिडकियों से,
झांकते हैं !
या फिर शायद,
अंश हैं हम,
ऐसी ही किसी दुनिया का,
जहां कोई और शख्स,
किसी और खिड़की से,
झांकता है,
और ऐसा ही कुछ ख़याल
उसके मन में भी आता है !!




“लिबासों की दुनिया, दुनिया के लिबास”

Libaso Ki Duniya Duniya ke Libas-“लिबासों की दुनिया, दुनिया के लिबास”
अक्सर यूं ही चलते हुए,
ऊंची ऊंची दुकानों के,
भीड़ भरे रास्तों से गुज़रते हुए,
बस यूं ही मैं सोचा करता हूँ |
उन दुकानों के शीशों से झांकते हुए,
कभी डराते, कभी मुस्कुराते हुए,
चमकीले लिबासों में लिपटे,
ये पुतले; मुझ पर हंसा करते हैं,
और मैं, बस यूं ही इन्हें ताका करता हूँ |
क्या यही हमारी ज़िन्दगानी है ?
जो बस चंद लिबासों की ज़ुबानी है ?
हर वक़्त, हर अवसर, हर जज़्बात,
हर जगह, हर महफ़िल के लिए; है इक लिबास |

हर तमन्ना के लिए इक लिबास,
हर तहज़ीब का है इक लिबास,
उस दुकान पर पाओगे अमीरी का लिबास,
नुक्कड़ पर मिलेगा गरीबी का लिबास |
हंसी का लिबास, खुशी का लिबास,
बेईमानी का लिबास, ईमानदारी का लिबास,
जैसी भी हो ज़रूरत,
है तुम्हारे पास इक लिबास |

पर इन लिबासों की भीड़ में,
लुभावनी और आकर्षक,
इस दिखावटी दुनिया की नींव में,
खो गया है वह,
जिसे ढूंढना है हमें,
सभी पहना करते थे जिसे,
चाहते थे, और दिलों में बसाते थे जिसे,
कहते हैं उसे इंसानियत का लिबास |
देखो ज़रा होगा यहीं,
दूर किसी छोटे से कोने में,
दबा हुआ, कुचला हुआ,
करता हुआ हम से फ़रियाद |

ढूंढ निकालो आज उसे,
पहन लो ये इंसानियत का लिबास,
इसके ऊपर फिर चाहे जिसे भी पहनो,
निखर जाते हैं सभी लिबास |

Risk




Kho jau mai kahi agar,
Aur ho jau duniya se bekhabar,
Samajh lena dosto ho gaya hai mujhko Ishq,
Aur le liya hai maine bahut bada Risk,
Yu to "Life" hai har pal Risk magar,
Soche-samjhe Risk ka alag hi hai asar,
Life me Risk-factor bahut kaam aati hai,
Safalta ki kunji bankar aapko...
Door talak le jaati hai
Door talak le jaati hai...

~Raj

Mera Dil ( My Heart )


Mera Dil ( My Heart )


Bada natkhat hai ye dil na jaane kya kya sochta rehta hai,
kabhi bada khush toh kabhi zara sa dukhi rehta hai..

Karvata hai mujhse ye na jaane kaise kaise karnaame,
jinka uddeshya ham bhi na jaane aur tum bhi naa jaane..

Kabhi toh pyar bhare ek hi shabd se harshit ho jaata hai,
toh kabhi shabdon ki uljhan mein hi ulaj kar hatash ho jata hai..

Khush hota hai jab ye toh har baat mein haasya khoj leta hai,
par jab hota hai ye dukhi toh uss haasya mein bhi apna dard khoj leta hai...

Kabhi toh deewano ki tarah kisi khaas ko chahne lagta hai,
samay ke saath vahi khaas iss dil ko bhane fir lagta hai..

Na jaane kitni yaadein sanjoye rehta hai ye apne andar,
jaise andar bhara hua ho pyaar ka samundar...

Zindagi ki iss kashmakash mein bass iss baat ka khayal rakhna,
chori na ho jaye kahi issey zara sambhal kar rakhna..


~Ankit

Chahat Ka Falsafa


Chahat Ka Falsafa- Ankit
Apni chahat ka falsafa unhe sunayen bhi toh kaise,
ab toh itna dur hai wo hamse pass jaye bhi toh kaise..

Meri dil mein unki jagah koi aur lega bhi toh kaise,
ye dil toh nadaan hai kisi aur ko pyaar dega bhi toh kaise..

Unke praharon se aahat hokar ab dukhde sunayen bhi toh kaise,
khabhi khush bhi ho jayen jo toh gungunayen bhi kaise..

Dono pahiyon ke bina ye jeevan rupi rath bolo chal payega kaise,
itna kaccha bhi nahi tha hamara rishta bolo tut payega kaise..

Mein toh tera hi saaya hun mujhse dur jaoge kaise,
tere dil ke kisi kone mein toh mein zarur hun;mujhe bhul paoge kaise..

Apni chahat ka falsafa unhe sunayen bhi toh kaise,
ab toh itna dur hai wo hamse pass jaye bhi toh kaise..

~Ankit

Feeling sad sad sad..

Feeling sad sad sad.. Ayush Jain
What to do when things are just not going your way. .  Everything you do, goes wrong. . Whatever you try fix up goes messed up.. However hard you try and work on something, ultimately, the result is absolute frustration, kind of a failure... Whom should you blame when you think that its only you coz of whom all this mess is taking place... Everything goes negative and you just can't see any hope of improvement.. Whatever you expect, things go absolutely go the other way round.. In such frame of mind, we think its better not to expect anything even from ourselves, coz every damn thing you try goes wrong wrong wrong !!!... Need a lot of patience, peace and may be quite other things I can't even think of at this point of time..

Yeah.. I guess each one of us goes through this phase many times in life when not even a single ray of hope appears... . Well, I think this is the best time of life coz He wants us to learn some very crucial lessons of life and is somehow saving us from situations which can be worst than ones right now.. So, that may be the reason for this "phase". . We learn a lot during this time, we get to know our true friends, true buddies, and also the true faces of many people are revealed... But these things don't matter a lot in life.. What truly matters is that you get more matured, more experienced and of course you will be handle yourself better in a similar situation in future..  So, may be we just need to be patient and believe in ourselves that inspite of everything going wrong I can rise up... again ... and conquer. Am actually privileged coz the winner did not have to go through all this and he missed a lot of opportunities underneath failure which I could access coz of being a "failure"..... Or may be he did go through all this.. that is why he is the winner now, and not me... Ahh, this is indeed a good sign, if I capitalize upon the opportunities underneath "failure", I can be the next "winner".. Wow, thats great, I had to learn some important things which I need to be a winner and that is why I am not a "winner" but a "failure"....  Oh great, now I got it, "failure" is a state of mind, if you accept it as an opportunity (or opportunities) it is a phase before failure, as they say "If you have never failed, you've never lived..."... And if  we don't see the positives of failure, well, this is an alarming bell, coz another failure awaits you, and yet another failure and it goes on and on and on, till we learn to see the optimism in it, only then we get the hint that yes failure is the one just before success... As they say... "Success is just one more try..."

Hmm.. now am feeling great... no more feeling sad sad sad... Because now I know what to do...
I don't understand why don't I come to know what is going in my mind, until I blur it out here and there... somewhere...

With this note, I sign off... Have a good day, whoever reads this stuff, hehe...

From The Blog: World Of Random Thoughts

प्रेरणा (Inspiration)


प्रेरणा (Inspiration)








जब मंजिले नज़र आये और रास्ता न मिल पाए
रख हिम्मत मेरे यार, आओ एक पथ पर चलते ही जाए

जब रोशिनी दिखे कही दूर पर किरण न पहुच पाए
रख होसला ज़रा, चल एक नया दीप जलाए

जब रास्ते पर कुछ लोग तेरे लिए काँटा बन जाए
रख भरोसा खुदपर, देखना कही कदम ना डगमगाए

जब कड़ी धुप में हालात भी तेरा खून खौलाए
रख इतनी ढंडक अपने दिल  में कि इन्द्र भी खुद बरसाए

जब दुनिया में, तेरे आलोचकों की संख्या बढ़ जाए
रख संयम इतना कि उनको भी तू माफ़ कर पाए

जब अपने हो जाये पराए और दूरियाँ बढती जाए
रख उम्मीद हमेशा, देख दिल टूट ना पाए

जब जब  इन सारी बातों से तेरा दिल घबराये
भूल उन पलो, उन किस्सों को जो तुने थे सजाये

होकर मगन अपने धुन में याद रख सदा
राही का तो काम हैं चलता जाए, चलता जाए ||
~Kumar Utkarsh

असमंजस


असमंजस


दिल को बोला संभल जा ज़रा
दिल न माना फिर मेरी बात
एक बार फिर भरोसा कर के
पहुंचा ह्रदय पे गहरा आघात

ये क्या हैं विडंबना, क्या हैं बात
क्यों बहक गए हैं आज फिर से जज़्बात
याद नहीं क्या उनको वो दिन
जब खाया था एक विश्वासघात

सुना हैं बाखूब किसी शायर से
दिल संभल जा ज़रा फिर बहक रहा है तू
मैं कहता लौट कर वापिस मत आना मेरे पास
मैं खुद नहीं सोच पाउँगा की मैं क्या बोलू

खुदा के बन्दे पर नीमत हैं उसकी
बच निकले थे जैसे तुम पिछली बार
आखिरी बार कह रहा हू संभल जा
टूट न जाए कही दिल के वो तार,
और बिखर जाये ज़िन्दगी की झंकार......!!!

~Kumar Utkarsh

गर्दिश में तारे मेंरे


गर्दिश में तारे मेंरे-Kumar Utkarsh


गर्दिश में तारे मेंरे  भले हो मगर
साथ न छोड़ देना तुम कभी मुह मोड़कर
वादा हैं जन्नत की सैर कराऊंगा
ख़ुशी और प्यार से तेरा हर लम्हा सजाऊंगा

चाँद के पार ना सही समुन्दर की लहरें दिखाऊंगा
सपनो का महल न बन सका तो रेत पर किला बनाऊंगा
तू अगर साथ रही हर दम, हर वक़्त, हर मोड़ पर
तो इन्शालाह एक दिन तारे भी तोड़ लाऊंगा

गर आज दे न सकू तुझे चंद फूल वो गुलाब के
ये न सोच लेना की तुझे भूल मैं भाग जाऊंगा
तिनके तिनके से जिस तरह बनता हैं एक घरोंदा
एक एक ईट उस तरह अपना घर सजाऊंगा

गर रूठ जाये भी कभी तू तो तेरे तकिये के किनारे
अपना सर रख कर मैं शायद अश्रु भी बहाऊंगा
पर कर यकीन मुझपर और याद रखना सदा
ख़ुशी और प्यार  से तेरा हर लम्हा सजाऊंगा....
~Kumar Ukarsh

घुटन (Suffocation)


घुटन (Suffocation)

ज़िन्दगी  मेरी  अब  हर  पल  खुद  ही  जिए  जा  रही  हैं .....
मेरी  क्या  हुकूमत  उसपे  दुनिए भी  मज़े  लिए  जा  रही  हैं .....
ना  मौत  आ  रही  हैं , ना  जान  जा  रही  हैं .....
कमबख्त  ज़ंजीरो  से  मुझे  सीए  जा  रही  हैं ......

सीने में आज ना जाने मची कैसी ये खलबली?


Kumar Utkarsh-सीने में आज ना जाने मची कैसी ये खलबली?


सीने में आज ना जाने
मची कैसी ये खलबली हैं
आग सी हैं भड़क रही
दिल में मेरे जल रही हैं

दिख रहा हैं वो किनारा
हर पल अब तक जो धूमिल था
क्या इस बार ज़मीन मिलेगी
ख्याल हर सोच में शामिल था

डर हैं कही डगमगा ना जाऊ
यह सुन्दर स्वप्न न टूट जाए कही
कुछ एक को हैं खबर किस तरह हूँ बढ़ा
हैं भरता जिस तरह बूँद बूँद घड़ा

बस अब येही आरज़ू है दिल की
ऊपर वाले सदा देना दुआ
अगर मेहनत कर के भी हार गया तो गम नहीं
समझ लूँगा खेल रहा था ज़िन्दगी से जुआ ॥
----- अर्ष

नींद (Sleep)


Sleep
तडपाती , तरसाती  ज़िन्दगी , यहाँ  सिर्फ  और  सिर्फ  हैं  खोना .......
जब  थक  जाओ  रोते  चिल्लाते , आँख  बंद  कर  चैन  से  सोना ......
क्या  पता  फिर  कब  मिलेगी  ये  नींद , अपना  तो  किस्मत  भी  हैं  बौना ....
जब  परेशान  हो  जाओ  ज़िन्दगी  से  ....... उठना  मत  ऐसे  सोना .......!!!!

यादें क्यूँ याद आती हैं?


यादें क्यूँ याद आती हैं?




यादें क्यूँ याद आती हैं,
साथ बिताये लम्हों की कसक आती जाती है,
तेरे पास न होने की कसक आती जाती है,
अकेला हूँ-तनहा हूँ, सोच ये मेरी आती जाती है,
पर याद तेरी जा के फिर क्यूँ चली आती है|

याद आता है मेरा वो तुझको यूँ पलट के देखना,
आते देख तुझको पलकें नीची कर लेना,
घंटों तुमसे बात करने को नए बहाने ढूँढना,
तेरी एक झलक पाने को घंटों गली के मोड़ पे खड़े रहना,
फिर भी तेरा मुझको न देखना,

नहीं हो पास मेरे तुम तो कोई गम नहीं,
तुम्हारे होने का एहसास तो है,
ख़्वाबों की मेरी दुनिया में, तू मेरे पास तो है,
पा लूँगा तुझे एक दिन, दिल को आज भी आस है,
ऊपर वाले की रहमतों पे मेरा आज भी विश्वास है,

तभी शायद यादें याद आती हैं,और जा के फिर चली आती हैं..............

~Baibhav
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