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प्रेरणा (Inspiration)


प्रेरणा (Inspiration)








जब मंजिले नज़र आये और रास्ता न मिल पाए
रख हिम्मत मेरे यार, आओ एक पथ पर चलते ही जाए

जब रोशिनी दिखे कही दूर पर किरण न पहुच पाए
रख होसला ज़रा, चल एक नया दीप जलाए

जब रास्ते पर कुछ लोग तेरे लिए काँटा बन जाए
रख भरोसा खुदपर, देखना कही कदम ना डगमगाए

जब कड़ी धुप में हालात भी तेरा खून खौलाए
रख इतनी ढंडक अपने दिल  में कि इन्द्र भी खुद बरसाए

जब दुनिया में, तेरे आलोचकों की संख्या बढ़ जाए
रख संयम इतना कि उनको भी तू माफ़ कर पाए

जब अपने हो जाये पराए और दूरियाँ बढती जाए
रख उम्मीद हमेशा, देख दिल टूट ना पाए

जब जब  इन सारी बातों से तेरा दिल घबराये
भूल उन पलो, उन किस्सों को जो तुने थे सजाये

होकर मगन अपने धुन में याद रख सदा
राही का तो काम हैं चलता जाए, चलता जाए ||
~Kumar Utkarsh

असमंजस


असमंजस


दिल को बोला संभल जा ज़रा
दिल न माना फिर मेरी बात
एक बार फिर भरोसा कर के
पहुंचा ह्रदय पे गहरा आघात

ये क्या हैं विडंबना, क्या हैं बात
क्यों बहक गए हैं आज फिर से जज़्बात
याद नहीं क्या उनको वो दिन
जब खाया था एक विश्वासघात

सुना हैं बाखूब किसी शायर से
दिल संभल जा ज़रा फिर बहक रहा है तू
मैं कहता लौट कर वापिस मत आना मेरे पास
मैं खुद नहीं सोच पाउँगा की मैं क्या बोलू

खुदा के बन्दे पर नीमत हैं उसकी
बच निकले थे जैसे तुम पिछली बार
आखिरी बार कह रहा हू संभल जा
टूट न जाए कही दिल के वो तार,
और बिखर जाये ज़िन्दगी की झंकार......!!!

~Kumar Utkarsh

गर्दिश में तारे मेंरे


गर्दिश में तारे मेंरे-Kumar Utkarsh


गर्दिश में तारे मेंरे  भले हो मगर
साथ न छोड़ देना तुम कभी मुह मोड़कर
वादा हैं जन्नत की सैर कराऊंगा
ख़ुशी और प्यार से तेरा हर लम्हा सजाऊंगा

चाँद के पार ना सही समुन्दर की लहरें दिखाऊंगा
सपनो का महल न बन सका तो रेत पर किला बनाऊंगा
तू अगर साथ रही हर दम, हर वक़्त, हर मोड़ पर
तो इन्शालाह एक दिन तारे भी तोड़ लाऊंगा

गर आज दे न सकू तुझे चंद फूल वो गुलाब के
ये न सोच लेना की तुझे भूल मैं भाग जाऊंगा
तिनके तिनके से जिस तरह बनता हैं एक घरोंदा
एक एक ईट उस तरह अपना घर सजाऊंगा

गर रूठ जाये भी कभी तू तो तेरे तकिये के किनारे
अपना सर रख कर मैं शायद अश्रु भी बहाऊंगा
पर कर यकीन मुझपर और याद रखना सदा
ख़ुशी और प्यार  से तेरा हर लम्हा सजाऊंगा....
~Kumar Ukarsh

घुटन (Suffocation)


घुटन (Suffocation)

ज़िन्दगी  मेरी  अब  हर  पल  खुद  ही  जिए  जा  रही  हैं .....
मेरी  क्या  हुकूमत  उसपे  दुनिए भी  मज़े  लिए  जा  रही  हैं .....
ना  मौत  आ  रही  हैं , ना  जान  जा  रही  हैं .....
कमबख्त  ज़ंजीरो  से  मुझे  सीए  जा  रही  हैं ......

सीने में आज ना जाने मची कैसी ये खलबली?


Kumar Utkarsh-सीने में आज ना जाने मची कैसी ये खलबली?


सीने में आज ना जाने
मची कैसी ये खलबली हैं
आग सी हैं भड़क रही
दिल में मेरे जल रही हैं

दिख रहा हैं वो किनारा
हर पल अब तक जो धूमिल था
क्या इस बार ज़मीन मिलेगी
ख्याल हर सोच में शामिल था

डर हैं कही डगमगा ना जाऊ
यह सुन्दर स्वप्न न टूट जाए कही
कुछ एक को हैं खबर किस तरह हूँ बढ़ा
हैं भरता जिस तरह बूँद बूँद घड़ा

बस अब येही आरज़ू है दिल की
ऊपर वाले सदा देना दुआ
अगर मेहनत कर के भी हार गया तो गम नहीं
समझ लूँगा खेल रहा था ज़िन्दगी से जुआ ॥
----- अर्ष

नींद (Sleep)


Sleep
तडपाती , तरसाती  ज़िन्दगी , यहाँ  सिर्फ  और  सिर्फ  हैं  खोना .......
जब  थक  जाओ  रोते  चिल्लाते , आँख  बंद  कर  चैन  से  सोना ......
क्या  पता  फिर  कब  मिलेगी  ये  नींद , अपना  तो  किस्मत  भी  हैं  बौना ....
जब  परेशान  हो  जाओ  ज़िन्दगी  से  ....... उठना  मत  ऐसे  सोना .......!!!!
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